श्याम सुन्दर सुतिहार
मगही भाषामें

विराटनगर, भाद्र ६ गते । कोरोना भाइरस (कोभिड–१९) महामारीके सन्त्रासके बीच आइज तराई मधेशमे चौरचन पवनी सम्पन्न भेल है । चौरचन पवनीमे खास कैरके चन्द्रमाके पूजा आराधना कैरके मनावै वला पवनी चौरचन तराई मधेश क्षेत्रके लोकपर्व है ।
कोरोना भाईरके कारण बहुतो मधेशके वहुतो जिल्लामे भदो १० गते तक स्थानीय सरकार सव निषेधाज्ञा जारी करल है । जेकर कारण अपन अपन घरे परिवारमे परमपराके विधी–विधान अनुसार चौरचन पवनी मनाव है ।


भारत–नेपाल सिमा क्षेत्रसे जुडल दोनो देशके जिल्ला सवके बासीन्दा सब चौरचन पवनी मनाव है ।
हिन्दु धर्म मनवेवला समुदायके विभिन्न जायत–जाति सव विशेष महत्वके साथ चौरचन पवनी कर है । चौरचनके दिन महिला सब अपन–अपन घर, आगन लिपपोत कैरके पूजाके तयारी करै है ।
चन्द्रमाके आराधना कैरके मनवै वाला पवनीमे दाल, चाउरके आटासे बनल पुरी, मिष्टान परिकार खाजा, परुकिया, खिर, मैटके छाचीमे जमाइल दही, पाकल केलाके घरी, लगायत फलफूल आर बस्त्र आभूषण चढावैके परम्परा है । पवनीमे घरके मुख्य महिला दिनभर निराहार उपवास रैहके चन्द्रमा के दर्शन कैरके चौरचन पवनी समापन करल जाय है ।


भदौ शुक्ल चौथीके दिन मनावैवाला चौरचन पवनी साँझके सूर्यास्तके समय गायके गोबर से लिपके बनाइल आगनमे दिप जलाके उपवास रहन महिला फलफूल, मिष्टान परिकार सब चन्द्रमाके देखाक समापन करैके परम्परा है । वहे स्थानमे पाँच आदमीके वैगाके खुवाके बचल झुठ सव वहे स्थानमे माइटके तरमे गाडल जाय है ।
शास्त्रीय मान्यताके अनुसार भदौ शुक्लपक्षके चौथी तिथी चन्द्र दर्शन से परिवारमे लगन दोष मेटावैके प्रचलन चलते आईल जानकार सव बताव है ।
तराई मधेशमे भक्तिभावके साथ मनावल जायवाला पर्न चौरचन, चौथीचन, चोरचण्ट र चौथी चन्द्र सेहो कहल जाय है । ऐय वेरके चौरचन पवन कोरोना भाइरस के करण उल्लासमे नै देखल जाय है ।

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